Talking Doll HINDI STORY
अंशु नाम का एक प्यारा सा बच्चा था, जो अपने माता-पिता के साथ एक छोटे से गांव में रहता था। अंशु बहुत समझदार और जिज्ञासु था, और उसे नई-नई चीज़ें जानने का बहुत शौक था। एक दिन उसकी मौसी उसे मिलने आईं और उसके लिए एक खास तोहफ़ा लाईं। वह तोहफ़ा था एक पुरानी गुड़िया। गुड़िया के बाल सुनहरे थे, आँखें नीली और उसकी पोशाक गुलाबी रंग की थी। अंशु को यह गुड़िया बहुत प्यारी लगी।
“यह गुड़िया बहुत खास है,” मौसी ने मुस्कुराते हुए कहा, “इसे संभाल कर रखना, यह बहुत पुरानी और अनोखी है।”
अंशु ने गुड़िया को अपने कमरे में रख दिया और उसे नाम दिया ‘रानी’। दिन भर वह रानी से खेलता, उसे कहानी सुनाता और उसके साथ बातें करता। लेकिन एक रात कुछ अजीब हुआ। जब अंशु सोने जा रहा था, उसने सुना कि कोई धीरे-धीरे फुसफुसा रहा था। उसने सोचा कि शायद उसे सुनने में कोई ग़लती हुई होगी, लेकिन फिर वही आवाज़ फिर से आई।
“अंशु, अंशु…”
अंशु चौक गया और कमरे में इधर-उधर देखा। उसकी निगाहें गुड़िया रानी पर जा टिकीं। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि गुड़िया उसके नाम से उसे बुला रही थी। उसने गुड़िया को हाथ में उठाया और पूछा, “क्या तुमने मुझे पुकारा?”
गुड़िया की नीली आँखें चमक उठीं और एक हल्की सी आवाज़ में उसने कहा, “हाँ, अंशु, यह मैं हूँ, रानी। मैं तुमसे बातें कर सकती हूँ।”
अंशु डर गया। उसने गुड़िया को फौरन बिस्तर पर रख दिया और भागकर माँ के पास चला गया। “माँ, माँ! रानी मुझसे बातें कर रही थी!” उसने घबराकर कहा।
माँ ने हंसते हुए कहा, “अरे बेटा, यह तुम्हारी कल्पना है। गुड़िया कैसे बात कर सकती है?”